Betul Political News: बबला रिपीट हुआ तो होगी कईयों की राजनीतिक हत्या
Betul Political News: If Babla is repeated then many will be politically murdered
Betul Political News: बैतूल के नए जिलाध्यक्ष को लेकर अटकलों का दौर जारी है, गोदी मीडिया लगातार बबला शुक्ला को ही विकल्प के तौर पर पेश कर रहा है, लेकिन भाजपा नेता निर्माण करने वाली पार्टी के रूप में जानी जाती है, इसलिए बबला का रिपीट होना मुश्किल है, हां यदि ऐसा हुआ तो एक बात तय है कि भाजपा को जोर का झटका आने वाले चुनाव परिणामों में झेलना पड़ सकता है

क्योंकि दरी, चटाई, झाडू उठाने वाले युवा नेता भी प्रमोशन चाहते हैं ऐसे में कई युवा नेताओं के आरमानों पर पानी फिर सकता है तो वहीं उनके राजनीतिक कॅरियर की हत्या होना भी स्वाभाविक है, क्योंकि मौका नहीं मिलने पर सक्रिय कार्यकर्ता खुद को ठगा सा महसूस करने लगता है और धीरे-धीरे ही सही लेकिन पार्टी से दूरी बना लेता है। अब इतने बड़े जिले में भाजपा को भाजपा जिलाध्यक्ष का विकल्प नहीं मिलना सोच से परे दिखाई देता है।

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Betul Political News: महिला नेतृत्व को भी दिया जा सकता है मौका
बैतूल भाजपा सहित कांग्रेस में भी महिला नेतृत्व दमखम रखता है, चाहे पूर्व विधायक सुनीता बेले कह लीजिये या दो बार नगरपालिका अध्यक्ष रहीं पार्वतीबाई कह लीजिये या पहली नगरपालिका अध्यक्ष रहीं मीरा एंथोनी कह लीजिये, बैतूल लोकसभा से भी दो बार ज्योति धुर्वे सांसद रह चुकी है, घोड़ाडोंगरी से वर्तमान विधायक गंगाबाई का भी उदाहरण देखा जा सकता है यानी बैतूल जिले में महिला नेतृत्व भी बढिय़ा है तो फिर भाजपा जिलाध्यक्ष के जिला विकल्प नहीं मिल पाए ये तो बात गले से नीचे नहीं उतर रही है।
Betul Political News: शिवराज सिंह का भी मध्यप्रदेश में नहीं था विकल्प फिर मोहन यादव कैसे मध्यप्रदेश सरकार सफलता के साथ चला रहे
भाजपा पार्टी नेता का निर्माण करती है, ये सब जानते हैं इस बात में कोई दो राय नहीं कि शिवराज सिंह चौहान के कारण ही मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार बना सकी है, लेकिन भाजपा आलाकमान को मध्यप्रदेश में सीएम का चेहरा बदलना था, जब इस बात की शुगबुगाहट चली तो लाड़ली बहनाएं नाराज हो गईं, भाजपा ने अपनी गाइडलाइन के तहत नए सीएम मोहन यादव का चेहरा सामने लाया, लेकिन तब भी महिला और पुरुष दोनों ही मतदाता ये कहते नहीं थक रहे थे कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ज्यादा दिन मध्यप्रेश सरकार नहीं चला पाएंगे,

लेकिन हुआ क्या सभी योजनाएं भी और बेहतर तरीके से चल रहीें हैं और सरकार भी विकास के नए क्षितिज तक पहुंच रहे हैं, कई नई जनकल्याणकारी योजनाएं सामने आईं हैं तो वहीं सरकारी तंत्र और सिस्टम भी पूरी ताकत से काम कर रहा है और काम दिखाई भी दे रहे हैं। जब मुख्यमंत्री का विकल्प भाजपा के रहता है तो फिर पार्टी में जिलाध्यक्ष पद के लिए लाइन लगी होंगा।
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Betul Political News: हक तो आदिवासी चेहरे का भी बनता है
यहां पर यह जान लेना जरूरी है कि बैतूल जिला आदिवासी बाहुल्य है और यहां बैतूल में लोकसभा सीट पर आदिवासी संासद दुर्गादास उईके हैं और दूसरी बार वे सांसद बनकर अब केंद्रीय मंत्री भी बने हैं, इसके अलावा ज्योति धुर्वे भी आदिवासी सांसद रहीं हैं। ऐसे में यदि भाजपा आदिवासी जिलाध्यक्ष उतारती है तो इसका फायदा सीधे सीधे पार्टी को मिलेगी।

Betul Political News: युवा आदिवासी नेताओं की भी लंबी फेहरिस्त भाजपा के पास है, लेकिन देखना यह है कि भाजपा इस बार भाजपा जिलाध्यक्ष पद के लिए आदिवासी चेहरे को मौका देती है या नहीं क्योंकि ये माना जाता रहा है कि बैतूल भाजपा को आदिवासी नेतृत्व क्षमता में कमी दिखाई देती है, इसलिए बैतूल जिले में उन्हें कम ही मौका दिया जाता है, यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस से ज्यादा भीड़ अब जयस संगठन की रैली और आयोजनों में दिखाई देने लगी है।
Betul Political News: भाजपा जिलाध्यक्ष पद के लिए हो चुकी है रायशुमारी
बैतूल में शनिवार को बीजेपी जिला अध्यक्ष चुनने के लिए रायशुमारी की गई। इसमें भाजपा पदाधिकारी, स्थानीय निकाय और पंचायत प्रतिनिधियों सहित जन प्रतिनिधि शामिल हुए। रायशुमारी के लिए बनी गाइडलाइन के मुताबिक 89 लोगों ने अपनी पसंद के नाम निर्वाचन अधिकारी सुदर्शन गुप्ता को सौंपे हैं। इस दौरान पर्यवेक्षक जयप्रकाश चतुर्वेदी ने बताया कि तय प्रक्रिया के अनुसार तीन-तीन नामों के पैनल सभी से मांगे गए थे। इस प्रक्रिया में 89 जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया।
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Betul Political News: तीन-तीन नाम बंद लिफाफों में हो चुके हैं बंद
सभी ने अपनी पसंद का नाम बंद लिफाफे में सौंपा है। इन बंद लिफाफों को प्रदेश संगठन को सौंपा जाएगा। जहां स्कूटनी के बाद 4 दिसंबर कर जिलाध्यक्ष की घोषणा होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि यह कोई चुनाव नहीं बल्कि पार्टी का संगठन पर्व का हिस्सा है। आमला विधायक डॉ. योगेश पंडाग्रे ने बताया कि उन्होंने भी इस रायशुमारी में भाग लिया। पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और फेयर तरीके से की गई है। रायशुमारी में भाग लेने वाले सदस्यों ने अपनी मर्जी से अपने-अपने नामों के सुझाव बंद लिफाफे में सौंपे है। जिस पर प्रदेश संगठन फैसला करेगा। रायशुमारी में निर्धारित गाइडलाइन के लिहाज से 14 श्रेणियों में तय किए गए।

जिनमें मंडल अध्यक्ष, मंडल प्रतिनिधि, विधायक, पराजित प्रत्याशी, सांसद, जिला प्रभारी, संभाग प्रभारी, वर्तमान, निवृत्तमान जिलाध्यक्ष, जिपं अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, नगर पालिका अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, पूर्व जिलाध्यक्ष, पूर्व निगम, मंडल, प्राधिकरण- अध्यक्ष ने भाग लिया।
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