Betul Newe : स्कूल ड्रेस खरीदी में भी एकलव्य ने भ्रष्टाचार की लांघी सीमाएं, यूनिफार्म खरीदी में भी लाखों का घोटाला जेम पोर्टल के साथ साथ टेंडर नियमों की भी जमकर उड़ाई गयी धज्जियां
Betul News : Eklavya crossed the limits of corruption even in the purchase of school dress, scam worth lakhs in the purchase of uniform Along with GeM portal, tender rules were also flouted.
Betul News : शाहपुर स्थित सोने का अंडा देने वाले एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय का दोहन किस प्रकार किया गया है इसकी परत दर परत लगातार प्रकाशित की जा रही है। लेकिन कार्यवाही का ना होना यह बता रहा है कि कहीं हम्माम के नीचे सब,,,,,,,तो नहीं। जो भी है लेकिन आदिवासी बच्चों के विकास और सुविधा के लिए शासन की मंशा पर कुठाराघात किये जाने का कोई भी मौका परिसर के नुमाइंदों ने हाथ से जाने नहीं दिया है।
स्कूल ड्रेस खरीदी में नियमों को रखा ताक पर
इस पूरे मामले की जांच किये जाने को लेकर आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष मुन्ना लाल वाड़ीवा ने कलेक्टर से लेकर जनसुनवाई, सी एम हेल्प लाइन तक मे शिकायत कर रखी है। लेकिन मामला दबाने की भरसक कोशिश भ्रष्टाचारियों द्वारा की जा रही है। मुन्ना लाल का कहना है कि परिसर में रहकर अध्यापन करने वाले विद्यार्थियों की स्कूल ड्रेस खरीदी में जेम और टेंडर नियमो की जनकर धज्जियां उड़ाई गयी लेकिन ताज्जुब है कि किसी भी अधिकारी ने इस पर संज्ञान लेना तक उचित नहीं समझा। वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रबन्धन द्वारा बच्चों के लिए स्कूल यूनिफार्म की खरीदी की गई। खरीदी गई यूनिफार्म अत्यंत घटिया दर्जे की खरीदी गई। इस खरीदी में ना ही जेम पोर्टल के नियमो को नजरअंदाज किया गया बल्कि टेंडर की नियम भी दरकिनार किये गए हैं। प्रबन्धन ने इस वित्तीय वर्ष में करीब 11 लाख 15 हजार 850 रुपये की एक बार नहीं बल्कि 21 बार खरीदी की है जो कि सीधे सीधे नियमो के उलंघन की श्रेणी में आता है। जांच के दौरान यदि स्कूल यूनिफार्म के कपड़े की लैब टेस्टिंग कराई जाए तो दूध का दूध ओर पानी का पानी अपने आप हो जाएगा।
क्या कहता है खरीदी का नियम
जानकारों के मुताबिक करोड़ों रुपये के बजट वाले एकलव्य आवासीय विधालय प्रबन्धन ने वित्तीय अनियमितताओं को अंजाम दिए जाने के लिए नियमो को जमकर तोड़ा और मरोड़ा है। जेम के नियमों के मुताबिक किसी भी एक फर्म से चालू वित्तीय वर्ष के दौरान ज्यादा से ज्यादा 5 बार खरीदी की जा सकती है। लेकिन प्रबन्धन ने अपनी हद पार करते हुए भोपाल की किसी एमटीएस सॉल्यूशन से 21बार खरीदी कर डाली है। यही नहीं नियम यह भी कहता है कि 1 लाख रुपये से ज्यादा की खरीदी होने पर टेंडर कॉल किया जाना है लेकिन यहां 11 लाख रुपये की खरीदी एक ही फर्म से किया जाना अपनी कहानी खुद कह रहा है। जो भी है लेकिन अब शिकायत कर्ता मुन्ना लाल का कहना है कि सुनवाई नहीं होने की दशा में आदिवासी बच्चों के हक को लेकर अब वे इसकी शिकायत मय दस्तावेज सीधे पीएमओ से कर रहे हैं। जरूरत पड़ी तो वे खुद ही दिल्ली जाकर प्रधान मंत्री से भेंट कर उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराएंगे ।



