SUV Taxation: भारत में SUV पर भारी कर बोझ, क्या कार निर्माता से ज़्यादा कमा रही है सरकार?
SUV Taxation: Heavy tax burden on SUVs in India, is the government earning more than the car manufacturers?
SUV Taxation: भारत में एक नई कार खरीदना, विशेष रूप से एक लग्जरी SUV जैसे कि महिंद्रा XUV700, लोगों के लिए उत्साह और गर्व का क्षण होता है। लेकिन, यह खुशी उस समय फीकी पड़ जाती है जब खरीदार को वाहन की अंतिम कीमत का बिल दिया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में टैक्स शामिल होते हैं। यह बिल देखकर अक्सर लोगों को यह समझ नहीं आता कि वे कार की असली कीमत से अधिक, सरकार को टैक्स क्यों दे रहे हैं।

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SUV taxation: एसयूवी पर टैक्स का विवरण
आइए हाल ही में प्राप्त एक बिल का उदाहरण लेते हैं, जिसमें महिंद्रा XUV700 डीजल की कीमत और उस पर लगे टैक्स का विवरण दिया गया है:

- वाहन की आधार कीमत: ₹14,58,783.78
- SGST (राज्य माल और सेवा कर): 14% – ₹2,04,229.73
- CGST (केंद्रीय माल और सेवा कर): 14% – ₹2,04,229.73
- GST सेस: 20% – ₹2,91,756.76
इन सभी करों को जोड़ने के बाद वाहन की कुल कीमत ₹21,59,000 हो जाती है। यानी कि ग्राहक को केवल टैक्स के रूप में वाहन की बेस प्राइस पर लगभग 48% अधिक भुगतान करना पड़ता है।
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SUV taxation: इतने अधिक कर क्यों?
भारत में वाहनों, विशेष रूप से एसयूवी, पर सबसे अधिक कर लगाए जाते हैं, और इसके पीछे का मुख्य कारण जीएसटी और सेस की कई परतें हैं:
- SGST और CGST: 14% प्रत्येक, ये 2017 में लागू की गई जीएसटी प्रणाली का हिस्सा हैं। इस नई कराधान प्रणाली ने विभिन्न राज्य करों की जगह ली, लेकिन विलासिता की वस्तुओं, जैसे कि एसयूवी, पर अभी भी बहुत अधिक कर लगे हैं।
- GST सेस: इसके अलावा, एसयूवी पर 20% का सेस भी लगाया जाता है, जो जीएसटी के सामान्य दरों के अतिरिक्त है। सेस का उद्देश्य जीएसटी प्रणाली के तहत राज्यों की राजस्व हानि को पूरा करना है, लेकिन इससे वाहन खरीदने वालों पर भारी आर्थिक बोझ बढ़ गया है।
SUV taxation: क्या सरकार निर्माता से ज़्यादा कमा रही है?
अगर हम महिंद्रा XUV700 जैसे स्थानीय रूप से निर्मित एसयूवी का उदाहरण लें, तो यह स्पष्ट होता है कि सरकार कार निर्माता से अधिक राजस्व कमा रही है। उदाहरण के तौर पर:
- वाहन की बेस प्राइस ₹14,58,783.78 है, जो कि निर्माता की कमाई को दर्शाता है, जिसमें उत्पादन और वितरण लागत शामिल है।
- लेकिन सरकार को कर के रूप में ₹7,00,216.22 का राजस्व मिलता है, जो वाहन की कीमत का लगभग 50% है।
यह स्थिति इस प्रश्न को जन्म देती है कि क्या सरकार वाहन की बिक्री से कंपनियों की तुलना में अधिक लाभ कमा रही है?

SUV taxation: आय से परे कराधान
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वाहन खरीद पर लगने वाला कर बोझ, पहले से ही आय पर चुकाए गए करों के ऊपर होता है। भारतीय उपभोक्ता को दो बार करों का भुगतान करना पड़ता है:
- आय कर: जो व्यक्ति अपनी कमाई पर पहले ही चुकाता है।
- माल पर कर: जो उस कमाई से खरीदी गई वस्तुओं पर लगाया जाता है, जैसे कि वाहन।
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SUV taxation: इतने ऊँचे कर का औचित्य क्या है?
एसयूवी और अन्य लग्जरी वाहनों पर इतने ऊँचे कर लगाने का मुख्य तर्क यह है कि यह विलासिता की वस्तुओं की खपत को हतोत्साहित करने के लिए किया जाता है। ऊँचे करों को अप्रत्यक्ष रूप से एक प्रकार का संपत्ति कर माना जा सकता है, जो अमीर लोगों और उच्च मध्यम वर्ग के लोगों पर लगाया जाता है। इसके अलावा, जीएसटी सेस का उद्देश्य राज्यों के राजस्व की हानि को पूरा करना है।
ऊँचे करों का एक और तर्क पर्यावरणीय चिंताओं से भी जुड़ा हुआ है। एसयूवी अधिक ईंधन की खपत करती हैं और अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करती हैं, जिससे प्रदूषण में वृद्धि होती है। सरकार इन वाहनों पर अधिक कर लगाकर खपत को कम करना चाहती है और पर्यावरण को संरक्षित करना चाहती है।
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SUV taxation: आयातित कारें और स्थानीय उत्पादन
दिलचस्प बात यह है कि आयातित कारों पर भी यही कर संरचना लागू होती है, बल्कि कभी-कभी इससे भी अधिक। आयातित वाहनों पर अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी भी लगाई जाती है, जिससे उनकी कीमत दोगुनी या उससे भी अधिक हो जाती है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि स्थानीय रूप से निर्मित वाहनों, जैसे कि महिंद्रा XUV700, पर भी इतने भारी कर लगाए जाते हैं।
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SUV taxation: क्या कारों पर कर सुधार की ज़रूरत है?
एक कार खरीदना भारत के मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होता है, लेकिन मौजूदा कराधान व्यवस्था, विशेष रूप से एसयूवी और अन्य लग्जरी वाहनों पर, इस सपने को महंगा बना रही है। हालांकि यह समझा जा सकता है कि सरकार को राजस्व की आवश्यकता होती है और वह पर्यावरण की रक्षा करना चाहती है, मौजूदा कर संरचना उपभोक्ता पर अत्यधिक बोझ डाल रही है।
स्थानीय रूप से निर्मित वाहनों पर इतनी भारी कराधान व्यवस्था पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। आखिरकार, जब कोई ग्राहक कार खरीदता है, तो क्या उसे यह महसूस होना चाहिए कि वह निर्माता की तुलना में सरकार को अधिक योगदान दे रहा है?
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This article highlights the issues related to the high taxation on SUVs in India and its impact on consumers and manufacturers.



