बैतूल

Betul News : प्रशासन के लिए बड़ा सिरदर्द बना अवैध कॉलोनी और धारणा अधिकार के पट्टों का उलझा मामला घोड़ाडोंगरी में नजूल भूमि पर प्रशासन की कार्रवाई में हो रही देरी उच्च अधिकारियों द्वारा मौके पर जांच किए बिना सुलझने वाला नहीं है यह मामला

Betul News : The complicated issue of illegal colony and leases of ownership rights became a big headache for the administration. There is a delay in the administration's action on Nazul land in Ghoradongri. This matter is not going to be solved without spot investigation by higher officials.

Betul News :  घोड़ाडोंगरी तहसील अंतर्गत नजूल भूमि खसरा नंबर 667 पर अवैध कॉलोनी निर्माण और धारणा अधिकार के पट्टों के उलझे मामले ने घोड़ाडोंगरी के निवासियों और प्रशासन के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गया है। राजस्व रिकॉर्ड में गड़बड़ी और अवैध प्लाटिंग के कारण यह मामला और जटिल हो गया है।

नजूल भूमि खसरा नंबर 667 पर अवैध कॉलोनी का निर्माण हुआ है और इस पर प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। 

घोड़ाडोंगरी नगर परिषद बनने के बाद से नजूल की भूमि के मुद्दे सामने आए हैं, जिसमें कई भूमि स्वामियों ने भूमि रिकॉर्ड में हेर फेर करके अधिक भूमि प्राप्त कर ली है। 1968-69 में आवंटित भूमि 0.646 हेक्टेयर थी, जो 2008 में 0.940 हेक्टेयर हो गई और वर्तमान में 1.02 हेक्टेयर हो चुकी है। भूमि की वृद्धि का मुख्य कारण रिकॉर्ड में गड़बड़ी है, जिससे 0.356 हेक्टेयर भूमि बढ़ गई है। राजस्व अधिकारियों ने भूमि स्वामी अधिकार के रिकॉर्ड में संशोधन नहीं किया, जिससे आवंटित भूमि स्वामी ने नजूल की शासकीय भूमि पर अवैध प्लाटिंग कर दी। अब धारणा अधिकार के तहत पट्टे बनाने के लिए आवेदन हो रहे हैं, परंतु यह स्पष्ट नहीं है कि कौन पात्र है और कौन अपात्र। उच्च अधिकारियों द्वारा मौके पर जांच किए बिना यह मामला सुलझने वाला नहीं है। यह स्थिति प्रशासनिक और कानूनी जटिलताओं का परिणाम है, जिसके समाधान के लिए विस्तृत और पारदर्शी जांच की आवश्यकता है।

— अवैध प्लाटिंग और रिकॉर्ड में हेरफेर — 

गौरतलब है घोड़ाडोंगरी के नगर परिषद बनने के बाद, भूमि नजूल की भूमि घोषित की गई। अपर कलेक्टर बैतूल द्वारा जारी सूचना में खसरा नंबर 667 को शासकीय नजूल भूमि बताया गया। 1968-69 में 0.646 हेक्टेयर भूमि पांच लोगों को आवंटित की गई थी, जो 2008 तक 0.940 हेक्टेयर हो गई और अब 1.02 हेक्टेयर हो चुकी है। भूमि की वृद्धि का मुख्य कारण रिकॉर्ड में हेरफेर है, जिससे 0.356 हेक्टेयर भूमि बढ़ गई। राजस्व अधिकारियों ने भूमि स्वामी अधिकार के रिकॉर्ड में नामांतरण नहीं किया, जिससे आवंटित भूमि स्वामियों ने नजूल की शासकीय भूमि पर अवैध प्लाटिंग कर दी। राजस्व रिकॉर्ड में भूमि कम नहीं होने के कारण यह स्वामी अब तक अवैध कॉलोनी की प्रबंधन की कार्रवाई से बचते आए हैं।

— धारणा अधिकार के पट्टों में उलझन– 

शासकीय नजूल भूमि 667 में जिन लोगों को भूमि स्वामी के हक से भूमि आवंटित की गई थी, उनमें से कई ने चार से लेकर 26 प्लाट तक की भूमि विक्रय कर दी है। नक्शा नहीं कटने और रिकॉर्ड दुरुस्त न होने के कारण नजूल की भूमि में प्लाट विक्रय के बाद भी उनके पास भूमि बची है। 

राजस्व विभाग यह समझ नहीं पा रहा है कि धारणा अधिकार का पट्टा प्राप्त करने के लिए कौन पात्र है और कौन अपात्र। आबादी भूमि के कहकर निरस्त किए गए नामांतरण वाले लोग भी अब पट्टा बनाने के लिए आवेदन कर रहे हैं, जिससे मामला और उलझ गया है। कई वर्षों से यह आबादी भूमि घोड़ाडोंगरी में लोगों की बसावट के लिए दी गई थी। इसके बावजूद पात्र लोग अब तक धारणा अधिकार के पट्टों से वंचित हैं। उच्च अधिकारियों द्वारा टीम बनाकर मौके पर जांच किए बिना यह मामला सुलझने वाला नहीं है।

— उच्चस्तरीय जांच की आवश्यकता– 

तहसीलदार महिमा मिश्रा ने बताया कि इस मुद्दे को एसडीएम के संज्ञान में लाया गया है और प्रतिवेदन बनाकर भेजा जाएगा। 667 में जो अवैध कॉलोनी है, उसका भी प्रतिवेदन बनाकर भेज देंगे।

Sagar Karkare

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