Betul Tribal Issues: देख लो केंद्रीय मंत्री जी आपके ही कार्य विभाग के कुनबे की ‘डूबती नैया’
Betul Tribal Issues: Union Minister, look at the sinking boat of your own department's family
Betul Tribal Issues: आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में ये नजारा नया नहीं है….अब तो जनजातीय कार्य विभाग मंत्रालय के केंदीय मंत्री भी बैतूल जिले से ही माननीय दुर्गादास उईके ही हैं, लेकिन आलम ये है कि ये नजारे बदलने में वे भी असक्षम दिखाई दे रहे हैं। पिछले साल सडक़ के अभाव में एक प्रसूता को 7 किलोमीटर तक खाट पर लादकर ले जाया गया था तो इस साल पुल नहीं होने से गर्भवती महिला को को प्रसव पीड़ा के साथ उफनती नदी बैलगाड़ी से पार करवाई गई।

अब और कौन से दिख देखना बाकी रह गया है, ये न तो बैतूल जिले के गरीब आदिवासी जानते हैं और न ही लहर में वोट देने वाले शहरी वोटर, लेकिन जो भला हो रहा है वो किसका हो रहा है ये स्पष्ट दिखाई दे रहा है। दो बार सांसद रहे और अब केंद्रीय मंत्री डीडी उईके दरअसल अब तक उनका स्वागत और बधाईयों के गुलदस्ते लेने का ही टाइम खत्म नहीं हुआ है कि वे काम कर सकें,
दरअसल बैतूल जिले के पिछड़े पन की किताब के पन्ने पलटने का उन्हें समय ही नहीं मिल रहा है यही कारण है जिले में न तो आदिवासियों को उद्धार हो रहा है न ही बड़े उद्योग लग रहे हैं और ही शिक्षा, सडक़, जैसी मूलभूत सुविधाएं ही लोगों को मिल पा रही है, इससे ऐसा लगने लगा है कि बस बैतूल जिले को पदों का लालीपॉप दिया जा रहा है धरातल पर इन पदों का औचित्य समझ से परे ही दिखाई दे रहा है। बैतूल जिले में रविवार को लगभग 1593 बूथों पर और शक्ति केंद्रों पर मोदी जी के मन की बात लोगों ने सुनी, लेकिन इस असहाय गांव के दिल की बात और हालात शायद नेताओं तक नहीं पहुंचे हैं।
बैतूल जिले के चिचोली ब्लॉक में एक गर्भवती को बाढ़ के बीच बैलगाड़ी से नदी पार कराना पड़ा। उसे प्रसव पीड़ा हुई थी। गांव के पास बहने वाली भाजी नदी उफान पर थी। यहां पुल भी नहीं बना था। ऐसे में ग्रामीणों ने जान जोखिम में डालकर गर्भवती सुनीता उईके को बैलगाड़ी से नदी पार कराया। उसे चिरापाटला अस्पताल पहुंचाया गया। यहां उसने एक बेटे को जन्म दिया। सुनीता की सास रामवती उईके ने बताया कि नदी का बहाव इतना तेज था कि वह खुद बहते-बहते बचीं। मामला रविवार को बोड़ रैयत गांव का है। सोमवार को वीडियो वायरल होने के बाद मामला कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी तक पहुंचा।
उन्होंने नदी पर पुल बनाने के प्रस्ताव को फिर से भेजने की बात कही। बोड़ गांव के लोग पिछले कई वर्षों से पुल की मांग कर रहे हैं। ग्रामवासियों और सामाजिक संगठनों ने कई बार आंदोलन किए हैं। ‘जयस’ संगठन दो बार प्रदर्शन कर चुका है। तत्कालीन कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस ने भी पुल का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक निर्माण नहीं हो पाया। यह पहली बार नहीं है जब इस नदी ने जान जोखिम में डाली हो। पिछले साल गांव के एक उपसरपंच की इसी नदी में डूबने से मौत हो गई थी। अब श्रमिक आदिवासी संगठन के राजेंद्र गढ़वाल ने चेतावनी दी है कि यदि 15 अगस्त तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो बड़ा आंदोलन होगा।
Betul Tribal Issues: जिला छोडिय़े… प्रदेश में भी यही हाल
जच्चा-बच्चा को चारपाई पर लेकर पहुंचे अस्पताल
मध्य प्रदेश के भिंड जिले में पक्की सडक़ न होने की वजह से जच्चा-बच्चा को चार पाई पर ले जाया गया। ग्रामीण 500 मीटर तक महिला को पक्की सडक़ तक छोडक़र आए। लोगों का कहना है कि 5 सालों से लिखित शिकायत करने के बाद भी यहां सडक़ नहीं बनी।
Betul Tribal Issues: सीएम हेल्पलाइन पर सुनवाई नहीं हुई, जिसकी वजह से उन्हें परेशान होना पड़ता है। गांव में चंचल (24) पत्नी अंगदसिंह बाल्मिकी को आज प्रसव पीड़ा हुई। घर पर ही बच्चा हो गया। प्रसव होने के बाद स्वास्थ्य जांच के लिए प्रसूता को लहार के सिविल अस्पताल ले जाना था।
इस बात की खबर आशा कार्यकर्ता रीना परिहार को लगी। उन्होंने एम्बुलेंस की मदद से सिविल अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी। इस पर एम्बुलेंस करीब दो घंटे देरी से आई। इसके बाद एम्बुलेंस प्रसूता के घर तक नहीं जा सकी। करीब पांच सौ मीटर दूरी पर पक्की रोड पर खड़ी करनी पड़ा। इसके बाद ग्रामीणों ने प्रसूता चंचल बाल्मिकी को चारपाई पर लेटाकर जच्चा-बच्चा समेत कीचड़ के रास्ते से होकर पक्की सडक़ पर ले गए जहां एम्बुलेंस खड़ी हुई थी।

Betul Tribal Issues: गांव के रामू परिहार का कहना है कि इस मोहल्ला में पच्चीस परिवार रहते हैं। पिछले पांच साल से लगातार लिखित में आवेदन देकर शिकायत की जा रही है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। आज जब महिला की डि?लेवरी के मामला हुआ तब महिला को चारपाई पर लेटाकर सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। बड़ोखरी गांव के दूसरे छोर पर कुछ परिवार रहते हैं। इन परिवारों की पहुंच तक सडक़ मार्ग पक्का नहीं है। ये परिवार पिछले कई सालों से जलभराव व कीचड़ की समस्या को लेकर शिकायत करते आ रहे थे।
Betul Tribal Issues: सीएम हेल्पलाइन से भी निदान नहीं
उन्होंने बार-बार सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की लेकिन कोई निदान नहीं मिल पा रहा था। इस पूरे मामले में सरपंच फूलदेवी को फोन लगाया। उनके पति ने फोन रिसीव ?किया। उनका कहना है? कि ऐसे हर किसी के घर के सामने रोड नहीं बनाई जा सकती है। लोग गांव के बाहर मकान बना लेते है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस एरिया में ये लोग रहते है। वो तालाब के किनारे की जगह है। वहां करीब पांच सौ ट्रॉली मिट्टी पड़ेगी। तब कही जाकर रोड बन सकेगी।
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