MP High Court: इंदौर शहर के एक सरकारी स्कूल में छात्राओं को निर्वस्त्र कर चेकिंग किए जाने के मामले में बुधवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधिपति की बेंच ने इंदौर पुलिस कमिश्नर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को आदेश का पालन न करने पर अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस कमिश्नर बताए कि इस मामले में पॉक्सो एक्ट 2012 के तहत अपराध बनता है या नहीं।

MP High Court: पूरे मामले की पृष्ठभूमि
दरअसल, यह मामला 2 अगस्त 2024 को घटित हुआ, जब एक सरकारी स्कूल में टेस्ट के दौरान एक छात्रा के पास मोबाइल बजा। मोबाइल मिलने पर स्कूल की शिक्षिका ने छात्रा को कक्षा से बाहर बुलाकर उसकी तलाशी ली और मोबाइल ले लिया। इसके बाद संदेह के आधार पर सात अन्य छात्राओं की तलाशी भी ली गई। आरोप है कि इस तलाशी के दौरान छात्राओं को बाथरूम में ले जाकर उन्हें निर्वस्त्र कर चेक किया गया। इस घटना की जानकारी छात्राओं ने अपने घर जाकर परिजनों को दी, जिससे हड़कंप मच गया।

MP High Court: हाईकोर्ट में दाखिल हुई जनहित याचिका
हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिनव धनोतकर ने इस घटना को लेकर जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया था कि पुलिस कमिश्नर इस मामले में कोर्ट के आदेश के तहत कार्रवाई करें। कोर्ट ने पहले ही आदेश दिया था कि पुलिस कमिश्नर यह सुनिश्चित करें कि मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध बनता है या नहीं, परंतु कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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MP High Court: पुलिस कमिश्नर पर शोकाज नोटिस जारी
बुधवार को मुख्य न्यायाधिपति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति एस.ए. धर्माधिकारी की बेंच में मामले की सुनवाई हुई, जिसमें याचिकाकर्ता की ओर से जानकारी दी गई कि अब तक इस मामले में पुलिस की ओर से कोई भी प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। इस पर कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को कारण बताओ नोटिस जारी किया और एक सप्ताह के अंदर शपथ पत्र प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया। इसके साथ ही अगली सुनवाई, जो 25 नवंबर को है, में व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होने का भी निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि अगर आदेश का पालन नहीं हुआ तो पुलिस कमिश्नर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
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MP High Court: मामले में जांच कमेटी की रिपोर्ट
घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने एक जांच कमेटी का गठन किया गया था। जांच कमेटी की रिपोर्ट अनुसार आरोपी शिक्षिका जया पवार पर छात्राओं के मानसिक उत्पीड़न और अपमानजनक व्यवहार के आरोप लगाए। कमेटी की रिपोर्ट के बाद इस मामले में जया पवार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। हालांकि, हाईकोर्ट द्वारा पहले ही उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

यह मामला बच्चों के अधिकारों और स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े करता है। हाईकोर्ट का सख्त रुख और पुलिस प्रशासन पर निगरानी दर्शाता है कि कानून किसी भी स्थिति में बच्चों के सम्मान के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेगा। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि न्यायालय और प्रशासन इस मामले में किस तरह की कार्रवाई करते हैं और दोषियों को सजा दिलाने में क्या कदम उठाए जाते हैं।
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