True Story: संघर्ष की डगर पर एक सपने का सफर, फूड डिलीवरी राइडर्स की अनकही कहानी
True Story: The journey of a dream on the path of struggle, the untold story of food delivery riders
True Story: रात का समय, इंदौर की जगमगाती सड़कों पर हल्की ठंडी हवा बह रही थी। मैं खाना खाकर टहलने निकला ही था कि सड़क किनारे एक बेंच पर बैठे एक फूड डिलीवरी राइडर को देखा। हाथ में टिफिन, कानों में ईयरफोन और चेहरे पर हल्की थकान, पर आंखों में एक अजीब सी चमक। मैं उसके पास गया, और जो कहानी सुनी, उसने मेरे दिल को झकझोर दिया।

True Story: संघर्ष और सपनों की जंग
वह युवक सतना से इंदौर आया था, अपने सपनों को पूरा करने के लिए। लेकिन आर्थिक तंगी उसकी राह में रोड़ा बन रही थी। पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए उसने दिन में कॉलेज और रात में फूड डिलीवरी की नौकरी करने का फैसला किया। हर दिन की तरह, आज भी वह रात 3 बजे तक डिलीवरी करेगा, ताकि अपनी पढ़ाई जारी रख सके।
खाने के साथ वीडियो कॉल पर उसकी मां थीं। एक माँ, जो अपने बेटे को पढ़ाई करने भेजना चाहती थी, लेकिन घर की हालत ऐसी नहीं थी कि उसे पूरी मदद मिल सके। इसलिए वह खुद ही अपने सपनों की लड़ाई लड़ रहा था, डिग्री के लिए किताबों से और ज़िंदगी के लिए मेहनत से।
True Story: हर ऑर्डर के पीछे एक संघर्ष
हम जब भी किसी फूड डिलीवरी ऐप से खाना मंगवाते हैं, हमें सिर्फ 30-40 मिनट में गर्म और स्वादिष्ट खाना मिल जाता है। लेकिन उसके पीछे ये राइडर्स कड़ी मेहनत और संघर्ष से गुजरते हैं। चिलचिलाती धूप, मूसलधार बारिश या ठिठुरती ठंड, कोई भी मौसम इनकी जिम्मेदारी को नहीं रोक सकता।
इनकी ज़िन्दगी आसान नहीं होती। देर रात तक काम, ट्रैफिक से जूझना, ग्राहकों की डांट सुनना, और फिर भी मुस्कान के साथ हर ऑर्डर समय पर डिलीवर करना। लेकिन इन्हीं संघर्षों से एक मजबूत इंसान और एक उज्ज्वल भविष्य बनता है।

True Story: प्रेरणा की एक नई रोशनी
उस युवक की कहानी ने मुझे यह एहसास कराया कि सपने सिर्फ देखे नहीं जाते, बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए संघर्ष भी किया जाता है। वह सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि उन हजारों युवाओं की प्रेरणा बन सकता है, जो अपने हालातों से हार मानने की बजाय मेहनत से अपने सपनों को सच करने में लगे हैं।
फूड डिलीवरी राइडर्स सिर्फ खाना नहीं, बल्कि खुद के और अपने परिवार के सपनों को भी डिलीवर कर रहे हैं। अगली बार जब कोई डिलीवरी वाला आपको ऑर्डर देने आए, तो एक छोटी-सी मुस्कान या धन्यवाद जरूर दें, क्योंकि उनके संघर्ष की कहानी शायद किसी दिन आपको भी प्रेरित कर जाए।
लेखक
कार्तिक त्रिवेदी (संपादक मेधावी समाचार)
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