बैतूल

Water Crisis Betul: यहां जल को तरसता जीवन

Water Crisis Betul: Life here craves for water

Water Crisis Betul: वर्ष 1999-2002 से 2005 तक लगभग बैतूल की पत्रकारिता पानी केंद्रित रही है, कहीं किसी गांव में पानी संकट के चलते लोग अपनी बेटियां नहीं बिहाते हैं तो कहीं ग्रामीण खाट पर बैठकर नहाने का पानी नीचे झेलकर उससे दीगर काम पूरे करते हैं।

Water Crisis Betul

इस तरह की तमाम रोचक खबरें बैतूल की पत्रकारिता ने नेशनल और इंटरनेशनल मीडिया तक पहुंचाई है, कुल मिलाकर पानी की विकराल समस्या से बैतूल को अब तक निजात नहीं मिली है, हर घर नल से जल, नलजल जैसी योजनाएं तमाम सरकारी प्रयासों के बाद भी सफलता की सीढ़ी नहीं चढ़ पा रही है। नेता की मंशा खुद को पानी वाले बाबा कहलाने की है तो अफसरों को भ्रष्टाचार से जेब भरने लत से लगी है। 

Water Crisis Betul: हर विकासखंड की नलजल योजना में भारी भ्रष्टाचार

पांगरा, मालेगांव हो या मोरखा नलजल योजना में भ्रटाचार के लिए ऐसे दर्जनों गांव हैं जहां खुद प्रशासनिक अमले सहित कलेक्टर को मौके पर जाकर भ्रष्टाचार को रोकने की जद्दोजेहद की गई कहीं योजना के पाइप गायब हैं कहीं पाइपों में नल ही नहीं हैं, कहीं योजना पूरी तरह से दम तोड़ चुकी है तो कहीं काम चालू हुआ और अधर में ही लटककर रह गया।

Water Crisis Betul

Water Crisis Betul: जल जीवन मिशन के तहत अच्छे स्लोगन ‘हर घर नल से जल’ के साथ योजना शुरू तो हुई लेकिन जिले में हालत ऐसी है कि नल तो हैं लेकिन जल नहीं है… यानी योजनाएं तो बराबर केंद्र और राज्य सरकारें भेज रही हैं।

Water Crisis Betul: अफसरों ने नलजल सतिह जल जीवन मिशन के कामों को पलीता लगाया

लेकिन बैतूल की नेतागीरी और अफसरशाही की हवा इन योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में नाकाम साबित हो रही हैं…वो तो भला हो बारिश का जो नदी, नाले, डेम, लबालब हो जाते हैं नहीं तो बैतूल में पानी को भी ढूंढना पड़ेगा। पिछले चार, छह माहों में केवल नलजल योजना में भ्रष्टाचार की खबरें मीडिया में छाई हुई थी, मीडिया में लगातार आ रही खबरों के बाद कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी मैदान में उतरे और उन्होंने गांव-गांव जाकर नलजल योजना की टोह ली, उन्होने योजना के नल, पाइप, मशीनरी सब चैक की और बेहतर काम के सख्त निर्देश दिए…लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में वही ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ हो रही है…जैसा चल रहा है…बस चलता रहेगा…।

Water Crisis Betul: फेल हुआ बैतूल में पानी का ‘मैनेजमेंट’

शहर में हर विकास का काम ‘मैनेजमेंट’ के हिसाब से होता है, लेकिन पानी को लेकर जो भी प्रोजेक्ट बैतूल जिले में बड़े ही मैनेजमेंट के साथ किया गया वही फेल हो गया है, शहर में पेयजल सप्लाई की बात करें तो चार से पांच दिन में एक बार सप्लाई हो रहा है, और दीगर दिनों की बात की जाए तो पूरे साल एक दिन की आड़ से पानी दिया जाता है, जबकि कायदे से नल रोजाना दिए जाने चाहिए।

Water Crisis Betul

Water Crisis Betul: तो क्या बैतूल सिर्फ पानी की राजनीति और भ्रष्टाचार के लिए है…

Water Crisis Betul: लेकिन कभी बिजली समस्या खड़ी कर देती है, कभी मोटर जल जाती है तो कभी डेम ही बह जाता है तो कभी वाहन पाइप लाइन फोड़ देते हैं, यानी पाइप लाइन बिछाने से लेकर नल तक पानी लाने में भी भ्रष्टाचार की बदबू आती है अब चार करोड़ रुपए से फिर ताप्ती बैराज सुधारा जाएगा…अरे भैया इतनी बर्बादी से तो अच्छा है चार करोड़ में कोई दूसरा सस्ता सा प्रोजेक्ट चालू करते या फिर पुराने फिल्टर प्लांट को ही जीवित कर लेते…।

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Sagar Karkare

My Name is Sagar Karkare. I am the Editor of This Web Site,

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